#प्रेमी मित्र
#नमन मंच
#दिनांक २०/०९/२०२४
#विषय प्रेमी मित्र
धन दौलत के इस खेल में
ना तोड़ो रिश्तो की बैसाखी !
मानवता के बेरी जगत में
नहीं चाहते प्रेम बढ़े !
मुश्किल है स्वार्थ भरे संसार में
प्रेमी मित्र का मिलना !
जो कभी मिल जाए यार ऐसा
भूलाकर नफरत को,
बांध लो प्रेम के आलिंगन में !
मिल गए हो जैसे बड़ी मिन्नतों
के बाद श्याम को सुदामा !
स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक
भीलवाड़ा राजस्थान
shyamkhatik363@gmail.com