प्रेमी ओ रसिक की, ना छबी l
प्रेमी ओ रसिक की, ना छबी l
है बड़ा ही झूठा, चोर कवि ll
सत्य भाव, बीती से उपजे l
तो सत्य चमके, जैसे रवी ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न
प्रेमी ओ रसिक की, ना छबी l
है बड़ा ही झूठा, चोर कवि ll
सत्य भाव, बीती से उपजे l
तो सत्य चमके, जैसे रवी ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न