Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2023 · 1 min read

प्रेमिका या जीवन

माना के हुनर है तुम्हे जफा की,
मुझे भी गिर कर संभलने की अदा जाती है।
आँखें पिघलती रही और तुमने जाने की जिद्द की थी,
मिटा गालों की गीली लकीरों को,
मैं तब भी तो चल पड़ा था।
हृदय के पिंजरे में बंद,
सिर पटकती लहूलुहान धड़कनें,
सांसों और सिसकियों,
को एक करती एक खामोशी।
ज़ख्मों पर अपने ही मरहम लगा कर,
मैं तब भी तो चल पड़ा था।
शिकवा नहीं तुमसे,
ना ही शिकायत है कोई,
हो तो बस एक शय ही,
ईश्वर को भी कहा वफा आती है।
माना हुनर है तुम्हे जफ़ा की,
मुझे भी गिर कर संभलने की अदा आती है।
बेजान मुर्दे की तरह मृत प्रतीत होता था,
उजाड़ ब्रह्माण्ड में लाशों की दुनिया,
चारों ओर चलती अधमरी लाशें,
मेरे हृदय पर रेंगती लोटती, ये लाशें।
हटा कर हाथों से अपनी ही लाश को,
मैं तब भी तो चल पड़ा था।
अब जीवन सफर की मंजिल कुछ और है।
गगन की उंचाईयों में तेज पवन की तरह,
तमस के सीने में धसे,
उन हीरों को छूने की मंजिल।
पथ लम्बा और समय कम है,
कठिनाइयाँ हैं और मुश्किलें हैं,
लडूंगा,
मैं तब भी तो लड़ा था।
माना के रगों में दर्द ही चुभाया तुमने,
पर जीवन के नुस्खों में हर मर्ज की दवा आती है।
माना के हुनर है तुम्हे जफ़ा की,
मुझे भी गिर कर संभलने की अदा जाती है।

Language: Hindi
347 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
3139.*पूर्णिका*
3139.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जीवन में असली कलाकार वो गरीब मज़दूर
जीवन में असली कलाकार वो गरीब मज़दूर
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
-- गुरु --
-- गुरु --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
देखें हम भी उस सूरत को
देखें हम भी उस सूरत को
gurudeenverma198
कोरोना महामारी
कोरोना महामारी
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को...
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को...
Shubham Pandey (S P)
मातृदिवस
मातृदिवस
Satish Srijan
प्रमेय
प्रमेय
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आशा की किरण
आशा की किरण
Nanki Patre
ऋतुराज
ऋतुराज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
दिखावे के दान का
दिखावे के दान का
Dr fauzia Naseem shad
■ आज का शेर-
■ आज का शेर-
*प्रणय प्रभात*
आँशु उसी के सामने बहाना जो आँशु का दर्द समझ सके
आँशु उसी के सामने बहाना जो आँशु का दर्द समझ सके
Rituraj shivem verma
"सुन लेना पुकार"
Dr. Kishan tandon kranti
एक ही धरोहर के रूप - संविधान
एक ही धरोहर के रूप - संविधान
Desert fellow Rakesh
मुदा एहि
मुदा एहि "डिजिटल मित्रक सैन्य संगठन" मे दीप ल क' ताकब तथापि
DrLakshman Jha Parimal
ईश्वर
ईश्वर
Shyam Sundar Subramanian
पढ़ना जरूर
पढ़ना जरूर
पूर्वार्थ
*कुछ गुणा है कुछ घटाना, और थोड़ा जोड़ है (हिंदी गजल/ग
*कुछ गुणा है कुछ घटाना, और थोड़ा जोड़ है (हिंदी गजल/ग
Ravi Prakash
जिंदगी में दो ही लम्हे,
जिंदगी में दो ही लम्हे,
Prof Neelam Sangwan
यह जो आँखों में दिख रहा है
यह जो आँखों में दिख रहा है
कवि दीपक बवेजा
चुलबुली मौसम
चुलबुली मौसम
अनिल "आदर्श"
इंतजार करते रहे हम उनके  एक दीदार के लिए ।
इंतजार करते रहे हम उनके एक दीदार के लिए ।
Yogendra Chaturwedi
किस क़दर
किस क़दर
हिमांशु Kulshrestha
8. टूटा आईना
8. टूटा आईना
Rajeev Dutta
✍️ शेखर सिंह
✍️ शेखर सिंह
शेखर सिंह
गलतियां
गलतियां
Dr Parveen Thakur
इंसान और कुता
इंसान और कुता
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
Shweta Soni
अयोध्या धाम
अयोध्या धाम
Mukesh Kumar Sonkar
Loading...