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20 Apr 2022 · 1 min read

प्रेमिका.. मेरी प्रेयसी….

सुनो
कैसे कहूँ,
तुम मेरी प्रेमिका मेरी प्रेयसी हो,
तुम को भी अजीब लगा ना
हाँ मुझको भी लगा था,
कुछ समझ पाता ,खुदको सँभाल पाता ,
तब तक तुम जीवन में आ बस गयी थी,
खुदसे भागने का, तुमसे पिछा छुड़ाने का,
प्रयत्न मैंने हर अंदाज में किया,
लेकिन तब तक तुम मेरे जहन को झिंझोड़ चुकी थी,

तुम्हारी खिलखिलाती जो हँसी हैं ना,
लगता हैं वो अब धड़कनों का साज हैं मेरे,
अपने बहते आँसू से तुम
मेरी जिंदगी को मेरे धड़कनों से अलग करती हो,
जब कभी भी तुम खुदसे रूँठकर नाराज होती हो ना,
तब ऐसा लगता हैं कि,
तुम्हारें पास दौड़ कर आ जाऊँ
और ,
अपनी बाहों में लेकर अपने सीने से तुमको कस्सकर लगा लूँ,
लेकिन मजबूर हूँ,
नहीं कर सकता कुछ भी तुम्हारें लिए,
कसूर तुम्हारा नहीं,
किस्मत का दोष हैं मेरे,
जिस किसी को भी अपना कहना चाहा मैंने,
वो मेरा होने से पहले ही मेरा ना रहा..

हाँ, भयभीत हो जाता हूँ मैं,
तुम्हारें अनछुए स्पर्श को खुदसे मिटाने के कल्पना से,
तुम्हारी खुशबू को जो महसूस होती हैं मुझे,
तुम ही कहो ..कैसे मिटा दूँ खुदसे…
इतना धैर्य नहीं रहा मुझमें
तुमसे खुदको अलग कर सकूँ,
इन्हीं बातों में ऐसे अटका हूँ के
तुम्हें समझाने से कठीन हैं ये,
मेरा स्वयं को समझना
हाँ तुम्हीं मेरी प्रेमिका हो …. हाँ तुम्हीं मेरी प्रेयसी हो….
#ks

Language: Hindi
1 Like · 3 Comments · 552 Views

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