*प्रेमरस जब प्रवाहित होता है*
प्रेमरस जब प्रवाहित होता है
प्रेम पल्लवित हो गर मन मैं तो,
तनमन हर्षित होता है,,
बन जाता है मधुवन जीवन,
जब कोई समर्पित होता है,,
मधुर सी मधुर सी महके गलियां,
उसके आ जाने से,,
खुल जाता है सकोची बंधन,
जब कोई प्रदर्शित होता है,,
बढ़ जाती है प्रेम प्रतिष्ठा,
मन के इस पावन मंदिर मैं,,
जब कोई चाहत का मसीहा,
इसमे पूर्ण स्थापित होता है,,
मान मोहब्बत जान इश्क है,
जन्म सफल है प्रेम प्रीत मैं,,
बनजाता है सदियो का रिश्ता,
अजर अमर जब संवाहित होता है,,
जीवन सुखी बने चाह से जो,
पावन परम पुनीत प्रीतम हो,,
ऐसे का मनु बना है प्रेमी,
जो दिल मैं समाहित होता है,,
मानक लाल मनु,,,