प्रेमचंदजी के तहरीर -ठाकुर के कुआँ के कुछ अंश का काव्यरुपान्तर
प्रेमचन्द के जमाने की बात है।
छुआछूत व्याधि जन्मजात है।।
उन दिनों धनवान कहे जाते थे सम्राट।
और था शासन उनका बहुत विराट।।
धनवानों का चर्चित नाम हुआ करता था सरकार ।
निर्धनों का कर रखा था जिन्होंने जीना दुश्ववार।।
धनवानों की जो निर्धन करते थे न जीहुजूरी।
उस बेचारे को दिया जाता था चाबुकरुपी मजदूरी।।
धनवानों के घर न करता था जो बेगार।
उसके घर था मचता भयंकर हाहाकार ।।