प्रीत मेरी ‘अर्चना’ बन कर रुहानी हो गई
दिल में रख छवि श्याम की मीरा दीवानी हो गई
दिल में बस के श्याम के ही राधा रानी हो गई
बाँध घुँघरू पाँव में नाचने मीरा लगी
राधा के तो प्रेम की अमृत कहानी हो गई
भूल ही सुध बुध गये नर नारी पशु पक्षी सभी
बाँसुरी की धुन सुनी तो रुत सुहानी हो गई
तुम मेरे हो मैं तुम्हारी बस यही मैं जानती
बन के तेरी रुक्मणी मैं राजरानी हो गई
श्याम तेरे रंग में मैं रँग गई हूँ इस तरह
प्रीत मेरी ‘अर्चना’ बन कर रुहानी हो गई
27-05-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद