प्रीत की होली
प्रीत की होली
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होली का उमंग लिए
रंग व तरंग लिए ,
फागुन आया झुम-झुम
आज देखो सब पे।
बाजे मृदंग ढोल
मन नाचे जैसे मोर,
छाय रही मस्ती यहाँ
आज देखो सब पे।
रंग व गुलाल लिए
मस्ती का फुहार लिए,
बसंती बहार आज
छाय रही सब पे।
गोरी – गोरी छोरीन संग
रंग गये लाल रंग,
संग मे हरित रंग
भाय रही सब पे।
अंग – अंग रंग डारी
हाथे हाथ पिचकारी
लाल, हरा,पीला निला
रंग डारो सब पे।
राधा संग श्याम खेले
मोहन गोपाल खेले,
होली आज ब्रज की
छाय रही सब पे।
होलिका का दाह काज
किये भक्त प्रहलाद,
पाप मुक्त वसुधा
उपकार सब पे।
बैर भाव भुल जायें
चलो संग नाचे गयें
प्रेम रंग गेरें अब
आज देखो सब पे।
नाहीं कोई ऊंच – नीच
करो नहीं भेद – भाव,
मिलजुल ढारो प्रीत
“सचिन” आज सब पे।।
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पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
सभी सम्मानित जन को होली की अग्रिम रंगभरी हार्दिक शुभकामनाएं।।