प्रीत करके भी, हो अन्य l
प्रीत करके भी, हो अन्य l
ओ प्रियतमा, तुम हो धन्य ll
मन को, साथ नहीं रखता l
रिश्ता सहज रहे, अजन्य ll
अब तन मन मति, खोल खोल l
हो ही जा, सहज अध्वन्य ll
सोता, सदा सहज खोता l
सुखियों का श्रोत, चैतन्य ll
जीवन नहीं, रहे शून्य l
प्यास तो, कभी नहीं अन्य ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न