प्रीति के दोहे, भाग-1
करते नहीं शिकायतें, जो करते हैं प्यार।
टिका हुआ है प्रेम पर, ये सारा संसार।।1
तारों में हम खोजते, जिससे करते प्यार।
जब वह जाता छोड़कर,सपनों का संसार।।2
आती इच्छुक मिलन की,सदियों से अविराम।
बूँदें देतीं ओस की, रजनी का पैगाम।।3
धरा और आकाश जब, मिलें क्षितिज पर दूर।
हो आलिंगनबद्ध वे, प्यार करें भरपूर।।4
प्यार मात्र है भावना, प्यार मात्र अहसास।
प्यार कभी मरता नहीं,यदि होता विश्वास।।5
प्रेम देह से वासना, कहते हैं सब लोग।
दो आत्माएँ जब मिले, बने प्रेम संयोग।।6
आँखों से आँखें मिलीं,गया हृदय का चैन।
उस सूरत की याद में,भर-भर आते नैन।।7
यत्र-तत्र सर्वत्र ही, बन जाता है खास।
जब धरती के प्यार में, आता है मधुमास।।8
जला वर्तिका नेह से ,तम को हरे चिराग।
बना हुआ दृष्टांत है,जग में उसका त्याग।।9
जब हो दिल में प्यार का,सच्चा सा अहसास।
अपने रहते दूर जो ,लगते बिल्कुल पास।।10
डाॅ बिपिन पाण्डेय