# रुबाइयाँ//’प्रीतम’ प्यार इशारों में
तुमको चाहूँ प्यार करूँ मैं , तुम हो चाँद सितारों में।
तेरा मेरा नाम जुड़ेगा , चाहत के अख़बारों में।
प्यार ज़ुदा है प्यार हसीं है , प्यार इबादत है सच्ची;
बिन बोले भी समझा जाए ,’ प्रीतम’ प्यार इशारों में।
लाख छिपाओ छिप ना पाए , चर्चा हो दरबारों में।
फूल खिले तो ख़ुशबू फैले , यार सदा गुलज़ारों में।
विरह जलाए प्यार बढ़ाए , दीदार मिले ख़ुशियाँ हों;
नैन मिले जब चैन मिले तब , ‘प्रीतम’प्यार इशारों में।
हवश नहीं है प्यार ख़ुमारी , बढ़ता ये संस्कारों में।
मनहर होता गीत सदा ही , सरग़म की दीवारों में।
गंगा जल की पावन धारा , दिल से दिल में बहती है;
शीतल मन से मन करती ये , ‘प्रीतम’ प्यार इशारों में।
#आर.एस.’प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित रचना