प्रीतम के दोहे- 13/7/2024
#प्रीतम दोहावली
दौलत चंचल नार है, बदले पल में साथ।
आज तुम्हारे हाथ में, कल दूजे के हाथ।।//1
करके हँसे मज़ाक जो, रोये इकदिन हार।
सदा नहीं जलते कभी, पावक बने अँगार।।//2
जाते-जाते आ गई, तुमको जिसकी याद।
उससे तुमको प्यार है, देना हरदम दाद।।//3
नाता सच्चा एक वो, संकट में दे साथ।
जुड़े हाथ से हाथ जब, विनय बनें दो हाथ।।//4
नेकी करके भूल तू, खिला ज़श्न के फूल।
मोती बन जाए तभी, उड़ी पाँव की धूल।।//5
तुझसे तेरा छीनना, नहीं किसी के हाथ।
फूल खिले अंबर नहीं, प्रेम भूमि के साथ।।//6
परछाई नित साथ दे, दर्पण कहे न झूठ।
मीत मनुज के दो यही, बाकी जाएँ रूठ।।/7
आर. एस. ‘प्रीतम’