प्रिय गुरुवर
ब्रह्मा की सबसे विचित्र प्रतिभा ,
जगत में होते प्रिय गुरुवर हैं ,
हर सार्थक मर्त्य के मद पर ,
होता गुरुवर का आशीर्वाद है।
गुरुवर ही एक ऐसी ज्वाला है ,
जो हमारी अँधेरी जहान को ,
अपने ज्ञान की दिव्य ज्वाला से ,
हमारे हयात में उजाला लाते हैं।
सेवा करने का पाठन हमें ,
प्रिय गुरुवर ने ही पढ़ाया है ,
सत्यता के पथ पर चलना ,
मेरे गुरुवर ने ही सिखाया है।
अर्वाचीन काल में मनुज ,
तौलते गुरुवर को पैसों से ,
पर मैं हयात में ना कभी ,
गुरुवर का ऋणमुक्त हो पाऊँगा।
जिनके ऋणमुक्त हैं हम नित्य,
जो है हमारे जनक स्वरूप ,
जिनका आशीष सदा शिष्य पर ,
जो गढ़ते हमें सार्थक मनुष्य ,
वो है हमारे प्रिय गुरुवर।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार