प्रिये..!!
जीवनरूपी जटिल वृत्त का,
तुम अविचल सा केंद्र प्रिये…!
सुख दुःख के कोणों की ज्ञाता,
तुम हो मेरी चन्द्र प्रिये…!
जीवा रूपी हर संकट को,
काटा त्रिज्या बन तुमने…!
प्रेम परिधि का मुझको अपनी,
बना दिया है इंद्र प्रिये…..!!
जीवनरूपी जटिल वृत्त का,
तुम अविचल सा केंद्र प्रिये…!
सुख दुःख के कोणों की ज्ञाता,
तुम हो मेरी चन्द्र प्रिये…!
जीवा रूपी हर संकट को,
काटा त्रिज्या बन तुमने…!
प्रेम परिधि का मुझको अपनी,
बना दिया है इंद्र प्रिये…..!!