** प्रिया **
प्रिया चली गयी,कहां गई ?
क्यों चौंकता है तूं ? हां यहीं है
खोल कमल नयनों को तूं और देख
एक चाहने वाली तुम्हें सिर्फ है यहीं
फिर क्यूं दूर भागता है,
क्यूं रोने का राग आलापता है
यह प्यार करेगी जी-जान से
दुलार करेगी क्रोड में अपनी सुला
कभी बेवफ़ाई तुमसे ना करेगी
यह वफ़ा का बदला वफ़ा से देगी
आयेगी तुम्हारे पास सबको भुला
आँचल में तुम्हें छिपाने हर शाम यूं ही
प्रिया गयी नहीं यहीं है
तुम्हारे इंतजार में हर क्षण हर पल ।।
?मधुप बैरागी