प्रियतम से मिलने की आस ऊपर से बीमारी ख़ास
वो विरहा क्यूँ
तड़प रही है
याद मुझे भी
सता रही है
मौसम कैसे गया मिलन का ।
ये कैसा भौकाल मचा है
खड़े आमने-सामने
पर हम क्यूँ
तड़प रहे हैं
कोई तो जतन करो मिलने का
एक दुश्मन थी
दुनिया सारी
ऊपर से ये कोरोना बीमारी
अनजाना ये रोग चला
दुश्मन प्रेमी युगलों का ।
मुझे कोई न रोके
मिलने से न कोई टोके
मिलना है
अपने प्रियतम से
न जोर लगा बंदिशों का ।
याद न उसकी
जीने देगी
प्यार कभी मरने न देगा
“आघात” हौसला रख
मौसम आएगा मिलने का ।