#प्रियतम लौटके आना तुम
🙏
प्रस्तुत गीत २३-३-१९७३ को लिखा गया था; आज भी वैसा ही युवा है, यदि आपको ऐसा लगे, तो मेरे साथ गुनगुनाइएगा !
★ #प्रियतम लौटके आना तुम ! ★
मेरे नील नयन की नीरधि
पलकों का किनारा तोड़ न दे
मन-पंछी हो विरह-विदग्ध
यादों का सहारा छोड़ न दे
अन्तिम सांस से इक पल पहले
प्रियतम लौट के आना तुम
प्रियतम लौट के आना तुम . . . . .
तरुवर से विलग कर पात चले
तारे डूबें और चाँद जले
हाय ! भाग्यहीन की आस ढले
समय की अविरल धारा मेरा
मौत से नाता जोड़ न दे
अन्तिम सांस से इक पल पहले
प्रियतम लौट के आना तुम
प्रियतम लौट के आना तुम . . . . .
गाता हुआ पपीहा पी-पी थक-हार कर सो जाए
वही चाँदनी रात रुपहली एक निशानी हो जाए
जनम-जनम का अमर प्रेम एक कहानी हो जाए
पुनर्मिलन के परिच्छेद पर
विधिलेखक लेखनी छोड़ न दे
अन्तिम सांस से इक पल पहले
प्रियतम लौट के आना तुम
प्रियतम लौट के आना तुम . . . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२