प्रार्थना
आनंद वर्धक छंंद सृजन
मापनी-2122 2122 212
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हे भवानी मात तेरा राज है।
सिद्ध करती तू सदा सब काज है।
माँ पुजारन हाथ जोड़े दान दो।
मैं सुहागन ही जिऊँ वरदान दो।
माँ सुनो पूरे सभी अरमान हो।
माँ नहीं हमसे जुदा भगवान हो।
मात तेरे हाथ मेरी लाज है।
सिद्ध करती तू सदा सब काज है।
माँ खिवैया बिन न नैया काम की।
माँ पिया बिन ज़िन्दगी है नाम की।
साँस पी की साँस में घुलती रहे।
उम्र मेरी भी उन्हें लगती रहे।
आत्मा की बस यही आवाज़ है।
सिद्ध करती तू सदा सब काज है।
मात हरदम माँग में सिन्दूर हो।
आखिरी क्षण तक न साजन दूर हो।
माँ मुझे आशीष दो सौभाग्य का।
आँख देखूँ भी नहीं दुर्भाग्य का।
शक्ति रूपा मात ही सुर साज़ है।
सिद्ध करती तू सदा सब काज है।
आरती का हाथ में जब थाल है।
माँ कृपा से भागता फिर काल है।
माँ मनोरथ पूर्ण की खुशहाल हैं।
गोद मेरे खेलता इक लाल है।
वेष कुसुमल शोभता सिर ताज है।
सिद्ध करती तू सदा सब काज है।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली