$प्रार्थना
#गीता छंद
गीता छंद में चार चरण होते हैं। इसके प्रत्येक चरण में 26-26 मात्राएँ होती हैं; हर चरण की यति 14,12 पर होती है। आदि में समकल आता है; अंत में गुरू-लघु (2-1) मात्राएँ आती हैं; और 5,12,19, 26 वीं मात्राएँ अनिवार्यतः लघु (1) होती हैं।
मापनी- 2212 2212, 2212 221
#प्रार्थना
मालिक करो इतनी कृपा, विद्या बढ़े नित ज्ञान।
आशीष पाएँ आसरा, तेरा रहे बस ध्यान।।
जीवन दिया है आपने, इसको सुधारो आप।
पलपल रहे इस रूह में, बसकर तुम्हारा ताप।।
तरुवर सरिस सेवा करें, शशि सम रहे हम शाँत।
सूरज सरिस उर्जा रखें, फूलों सरिस हों काँत।।
महका ज़मीं छूलें गगन, गूँजें हमारे गान।
बिखरी लबों पर बस रहे, मनहर सदा मुस्क़ान।।
नदियों सरिस चलते रहें, बुलबुल सरिस हों गीत।
तारों सरिस मिलकर खिलें, रिपु को बनादें मीत।।
सागर सरिस गहरा हृदय, देना हमें भगवान।
मीठे वचन बोलें सदा, इतना लिए अरमान।।
नगपति सरिस रक्षा करें, बनके वतन की ढ़ाल।
सोचें हमेशा देश हित, भूलें बदी की चाल।।
दो शक्ति मालिक हमें, पक्की रखें निज आन।
रिश्ते निभाएँ हम सभी, इतना रखें उर ध्यान।।
कवि- आर.एस. ‘प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित सृजन