प्रार्थना : मैं चंदन बन जाऊँ
करो कृपा प्रभु रात-दिन, मैं सज्जन बन जाऊँ।
असर न विष का हो कभी, मैं चंदन बन जाऊँ।।
नितदिन तेरा ध्यान हो, इच्छा एक यही है;
संग रहूँ बस सत्य के, मैं दर्पण बन जाऊँ।।
सुख आए या दुख मिले, हार नहीं मानूँ मैं।
नाम सदा जपता रहूँ, एक तुझे जानूँ मैं।।
घृणा जलन से दूर हो, मैं पावन बन जाऊँ।
आँखों में सबके बसूँ, मैं अंजन बन जाऊँ।।
रहे सदा विश्वास प्रभु, शक्ति मुझे इतनी दो।
भूल न पाऊँ मैं तुम्हें, भक्ति मुझे इतनी दो।।
फूल खिलाऊँ प्रेम के, मैं उपवन बन जाऊँ।
हरियाली सुख की करूँ, मैं सावन बन जाऊँ।।
पीर नहीं आशा बनूँ, रहे नेहमत इतनी।
छाया दूँ मैं और को, करो इनायत इतनी।।
ख़ुशियाँ दूँ भरपूर मिल, मैं कुंदन बन जाऊँ।
दिल से ‘प्रीतम’ प्रार्थना, मैं रंजन बन जाऊँ।।
#आर. एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना