प्रार्थना मेरी
यह सारे जगत से जगत से जगत से विनती है मेरी।सारे बुद्धि जीवों से पृँँथना करु घनेरी।समय कर रहा पुकार चारों दिशाओं मे मचा हा.हा.कार ।अब छाई रही अनधेरी सब से पृथना करु घनेरी ।गरीबो ओर गाय को बचालो ।अपने दरबार से अब न टालो ।तुम बनकर वीर सिपाही लोहा लो इन अतयाचारी से।विनति करु घनेरी ।