प्रायश्चित
लघुकथा
शीर्षक – प्रायश्चित
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“उमा देवी आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है l बिखरते रिश्तों को बचाने के लिए, लोग उन्हें अम्मा के नाम से जानते हैं l आज का कार्यक्रम अम्मा के नाम….”l
टीवी एंकर ने जब उनसे परिचय कराया तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान हो उठा l उसके बाद शुरू हुआ सवाल और जवाबों का आदान प्रदान…..
एंकर -” अम्मा, आपके मन में कैसे आया कि बिखरते रिश्तों को जोड़ा जाये ”
उमा देवी -” इसकी शुरुआत मेरे खुद के रिश्ते से हुई थी l मैंने लव मैरिज की l पति और पूरा परिवार बहुत चाहता था मुझे l दो साल में, मै एक बेटी की माँ भी बन गई l सबकुछ बहुत अच्छा चल रहा था लेकिन एक दिन मैंने अपने पति को किसी और के साथ देख लिया और मै लड़ झगड़ कर अपनी माँ के पास आ गयी जो मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती साबित हुई l मेरे पति कई बार माफी मांगने भी आए लेकिन मेरी माँ ने मुझे उनके साथ नहीं जाने दिया l तब मैं शायद नासमझ थी लेकिन जब तक समझ आयी तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था ” l
एंकर -” लेकिन आपके ‘ परिवार जोड़ो अभियान ‘ की शुरुआत कैसे हुई “?
उमा देवी -” मेरी माँ गुजर चुकी थी lबेटी की शादी भी एक अच्छे लड़के के साथ हो गई थी जो उसे बहुत प्यार करता था l एक दिन मै बाहर बरामदे बैठी हुई थी कि अचानक से मेरी बेटी का प्रवेश हुआ वो भी पूरे साजो सामान के साथ l मै समझ गई कुछ न कुछ तो गड़बड़ जरूर है l उसे बड़े प्यार से घर के अंदर ले गई l चाय नाश्ता कराया फिर उससे पूछा- ” क्या हुआ बेटी, आज अचानक से, वो भी सामान के साथ l
वो फफक कर रो पड़ी और मेरे सीने से लग गई l मैंने उसे ढाढस बंधाया तो उसने बताना शुरू किया कि उसका पति के साथ झगड़ा हुआ है l कारण पूछा तो वो बोली मैंने फ़िल्म देखने का प्लान बनाया था तो ये जानपूछ कर ऑफिस से लेट आये और जब मैंने कहा तो झगड़ा किया l अब मैं उस आदमी के साथ एक पल नहीं रहना चाहती l
मेरी आँखों के सामने मेरा बीता हुआ कल नजर आने लगा l मैं बिलकुल नहीं चाहती थी कि मेरी तरह बेटी की खुशियों को ग्रहण लगे l मैंने उसे समझाया कि यहाँ अंधेरे के सिवा कुछ भी नहीं है, उसके बच्चे का भविष्य माँ-बाप के एक साथ रहने पर ही सुरक्षित है l मुझे इस दौरान उसके साथ कठोर भी बनना पढा l
दूसरे दिन उसका पति उसे लेने आया l वो दिल का बहुत अच्छा लड़का था l उसने मेरी बेटी को सॉरी बोला तो दोनों के मन के मैल आंसुओ में बह गये और गले से लग गये, इस प्रकार मेरी बेटी का घर टूटने से बच गया l ,,,,, इसके बाद से मेरा प्रयास जारी है l ऐसे लगभग दो दर्जन जोड़े आज एक साथ रह रहे हैं, जिनकी मंजिल सिर्फ और सिर्फ तलाक थी l
रिपोर्टर – “आप अपनी इस पहल को किस रूप में देखती है”?
उमा देवी -” मेरी पहल, मेरा खुद का प्रायश्चित है l मै हर पति-पत्नी में खुद को और अपने पति को देखती हूँ l जो मेरे साथ हुआ, वो किसी के साथ नहीं होने देना चाहती l मेरी माँ ने मुझे सही सीख नहीं दी इसलिए जरा सी बात पर मेरा घर टूट गया, मेरी बेटी पिता के प्यार से महरूम रह गई… अब मैं नहीं चाहती कि किसी का घर बिगड़े और बच्चे पिता के अनमोल प्यार से वंचित रह जायें l
दर्शक- दीर्घा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा । वे दर्शक जिन्हें शायद ही पता होगा कि एंकर के दाम्पत्य- जीवन में आये ग्रहण को उन्हीं ने दूर किया था।
राघव दुबे ‘रघु’
इटावा ( उo प्रo)
8439401034