प्राप्ति के भर्म में
राम को बेचा
धर्म को बेचा
जब कुछ न आया हाथ
बेच दिया अपनों को
विभीष्णो के हाथ .
निर्वस्त्र करने निकले थे
सर्वस्थ ध्वंश करने आय थे
अहं व्यंग के अति श्रोत से
निर्वस्त्र व ध्वंश हो गये
सम्पूर्ण विश्व के सामने.
अपनों को खोया
प्रदेश को खोया
खोया जगत में नाम
अहं व्यंग लोभ क्रोध
के नृत्य में भस्म हो गया
सर्व मान व सम्मान.
12 05 2021