प्राण हंतकी
हे प्राण हंतकी हकीम , डागडर
वैद्या- हादिक दवा के माहटर
मन करत बा के चिकित्सक दिवस प
किस्सा तोहार सुनाई दीं
बोला तुहके कईसे बधाई दीं….
रोग कछु और रहे,
कुछ औरो के दवाई दिहला
केतना जनी के सुईया -दवईया से
कोचिं-खियाई मुआई दिहला
तुहरे ज्ञान प.. मन बा हमार के
तोहार मर मुक्का दे शीश नवाई दीं
मन करत बा के चिकित्सक दिवस प
किस्सा तोहार सुनाई दीं
बोला तुहके कईसे बधाई दीं….
हादिक बनके ज़ब नब्ज पकड़ला
रोग बतवला बड़ा ही कुंहड़
तोरे बतिया प जे भरोसा कइले
लिहला स्वास्थ्य औ ऊपर से रोकड़
हाक़िम भी हकीम संग बाटेन
नाहीं ते उनही से पकड़ाई दीं
मन करत बा के चिकित्सक दिवस प
किस्सा तोहार सुनाई दीं
बोला तुहके कईसे बधाई दीं….
बैद्या बन जेहके चूरन दिहला
उ दूसर रोग फुरमावत बा
जेके पेट रुके के गोली दिहला
वो हर दुइ मिनट प धावत बा
हमार बस चले ते उहै सब गोली
तुंहके कई बार खियाईं दीं
मन करत बा के चिकित्सक दिवस प
किस्सा तोहार सुनाई दीं
बोला तुहके कईसे बधाई दीं….
-सिद्धार्थ गोरखपुरी