प्राण वायु
दूषित हुआ वातावरण,वायु हुई विषाक्त।
प्राण वायु हम खोज रहे,कर वृक्षों संग घात।
वाहन का नित शोर है, और धुएं का जोर।
घुटन भरा माहौल हुआ, अब जाएं किस ओर।
प्रकृति पर संकट है भारी , बड़ाओ कदम सब साथ।
वृक्ष लगाओ सब मिलकर, उठाओ मिलकर हाथ।
प्रकृति सुरक्षा से है जीवन, तनिक करो विचार।
शुद्ध वायु जो न रही, सब जायेंगे जीवन हार।
स्वरचित एवं मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश