प्राण कहाँ !
हे मेरे भारत के लोग
कैसा दुःखद ये संयोग;
सह रहे जो आजतक वियोग,
क्या मिल पायेगा कोई सफल योग !
नहीं सफल योग मुस्कान कहाँ
जीवन जीने की जान कहाँ
सत्य की सुंदर विधान कहाँ
वसुधा पर अहा प्राण कहाँ !
हे मेरे भारत के लोग
कैसा दुःखद ये संयोग;
सह रहे जो आजतक वियोग,
क्या मिल पायेगा कोई सफल योग !
नहीं सफल योग मुस्कान कहाँ
जीवन जीने की जान कहाँ
सत्य की सुंदर विधान कहाँ
वसुधा पर अहा प्राण कहाँ !