प्राकृतिक सौंदर्य
सबका जीवन ही प्राकृतिक – सौंदर्य हैं।
सोच हमारीं हमारा कुछ बस न हमारा होता हैं।
यही प्राकृतिक – सौंदर्य हवा जल पृथ्वी होती हैं।
सच हकीकत हमारा शरीर भी एक समय रहता हैं।
प्राकृतिक – सौंदर्य ही तो हम सभी जीवन कहता हैं।
आज कहे हम किरदार रंगमंच पर बस निभाने हैं।
प्राकृतिक – सौंदर्य के संग साथ हम सभी के अपने हैं।
हमारी सोच मोह माया के साथ संसारिक बस रहती हैं।
आकाश जल वायु पृथ्वी और अग्नि प्राकृतिक -सौंदर्य हैं।
आओ मिलकर हम जीवन के सच को स्वीकार करते हैं।
प्राकृतिक – सौंदर्य की सोच समझ हम सभी रखते हैं।
हां रंगमंच के किरदार हम बस प्राकृतिक – सौंदर्य कहते हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र