प्राकृतिक रंगों से हो होली स्वस्थ और सुरक्षित होली
होली, रंगों भरी खुशियों का त्योहार है। इस दिन एक दूसरे पर रंग लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। होली का मतलब, रासायनिक रंग व कीचड़ नहीं है और ना ही पेड़ काट कर होलिका दहन करने से है। यह त्योहार खुशियों को रंगों से भरने का है। जिसे सभी अपने ढंग से मनाते हैं। अब समय के अनुसार चलने की आवश्यकता सभी को है। जिससे पर्यावरण की रक्षा के साथ ही अपना भी बचाव हो सके। अब जमाना कीचड़ पेंट व रंगों का चला गया। जिसका लोग होली में इस्तेमाल करते थे। अब सूखी होली को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसे में इस बार की होली पर्यावरण को समर्पित हो इसके लिए सूखी होली ही मनाई जाए । होली रंगो का त्योहार है और अगर रंग ही आपकी होली को बरबाद कर दे तो उससे बुरा और क्या होगा ।बाजार में कई रासायनिक कलर्स आ गए हैं जो ना सिर्फ गहरे होते हैं बल्कि उनका इस्तेमाल से हमारी त्वचा, आंखें और बालों को नुकसान पहुंचता हैं। इसके लिए सभी को रासायनिक रंगों के इस्तेमाल को बंद कर देना चाहिए। इसके इस्तेमाल से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। होली के दौरान यह बात इसीलिए भी जरूरी हो जाती है क्योंकि खराब रंगों से हमारी त्वचा और बालों को नुकसान पहुंच सकता हैं। और इतना ही आँखों को भी नुकसान पहुँचता है। इस बार हमारी होली गुलाल व प्राकृतिक रंगों से हो। जिससे पानी की बरबादी को भी रोका जा सके। प्राकृतिक रंगों के साथ होली खेलने का अपना अलग ही मजा होता है। प्राकृतिक रंगों से आपको कोई नुकसान नहीं होता है। ये आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचाने के बजाय त्वचा को अधिक कोमल बनाएंगे । आपको घर में प्राकृतिक रंगों को बनाने के लिए बाहर से कुछ सामान भी नहीं लेना होगा। इसके लिए आप रसोई में प्रयोग होने वाले कुछ सामान को लें ,हल्दी ,बेसन ,मेहंदी ,चंदन ,चुकंदर और फूलों से आप घर में ही प्राकृतिक रंग बना सकते हैं। क्यों पढ़ कर विश्वास नहीं हो रहा है न , लगता था कि हर्बल होली कल्पनाओं की चीज़ है, बड़े लोगों के चोंचले हैं। परंतु वास्तविकता यह है कि सूखी होली हमारे स्वास्थ्य ही नहीं हमारी जेब पर भी भारी नहीं पड़ता है। होली का त्यौहार रंगों से भरा हुआ होता है, जिसे पूरा देश उत्साह के साथ मनाता है, हर जगह रंगों की धूम और तरह-तरह के पकवानों की सुगंध चारों तरफ होती है, इस प्यार से भरे त्यौहार को देखते खेलते समय आपको ध्यान रखना चाहिए की आप, सुरक्षित और प्यार से खेलें, क्योंकि कई बार यदि ध्यान न रखा जाए तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है, रंग खेलने के लिए किसी से भी जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। सहयोग से ही आनंद है, हुड़दंग में भी। हुड़दंग के मायने यह बिल्कुल भी नहीं है कि सड़कों पर तोड़-फोड़ मचाई जाए। अगर कोई प्यार से रंग लगाए तो थोड़ा विनम्र हो जाएं और सामने वाले की श्रद्धा को स्वीकारें। इससे हुड़दंग भी उल्लास से भरपूर होगा और किसी बुरे माहौल को रूप नहीं देगा । अपने प्रियजनों के साथ सुरक्षित होली खेलें और यादगार बना दें इस लम्हे को। और खिलखिलाते चेहरे से सबको कहें हैप्पी होली।
—लक्ष्मी सिंह ? ☺ होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ