प्रसन्नता
क्या होती है प्रसन्नता ?
कैसे पाई जा सकती ?
अपना मूल्यांकन करो
मानदंड अपने, तो खुदी बनी रहती
दूसरों की अपेक्षाएं ही तो
अप्रसन्नता का कारण होती।
विचार करो खुद निर्णय लो
करो जो चाहो यही प्रसन्नता होती।
प्रसन्न रहने को एकांत नही
अपनो के साथ रहना होगा,
खुशी पराई हो तो क्या
शामिल उसमे रहना होगा।
प्रसन्नता भौतिक सुख साधनों मे नही
पैसा कमाने वालों से ज्यादा,
बेफ्रिक बिंदास प्रसन्न रहते।
मस्त मन आशावादी मनुहारी नही होते
आगे आते खुशियां लुटाते,
निरोगी रह कर दूसरों का मन बहलाते।
जी भर जिओ औरों को जीवंत करो
यही बात प्रसन्नता का कारण बनती।
मौलिक स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर