प्रश्न
प्रश्न
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कब से खाते कितना खाया, पेट कभी भर पाया क्या ?
सब कुछ तुझको यहीं मिला है, सोच साथ में लाया क्या ?
किसकी खातिर जोड़ रहा है , क्या तू सँग ले जायेगा ?
बोये सदा बबूल बावले, आम हाथ में आया क्या ?
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महेश जैन ‘ज्योति’
मथुरा ।
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🪷🪷🪷