प्रश्न पूछते थकते पांव
प्रश्न पूछते थकते पांव
कितनी दूर रहा अब गाँव
पद चिन्हों पर चलते चलते
जंगल तो कर आये पार
पथरीली चट्टानें भी हम
छोड़ चुके है अब उस पार
चलने से पहले बोला था
देखो वह दिख रहा निशान
पर पड़ाव भी दिखा न अब तक
क्षण क्षण डीएम होती बेजान
रीड झुकी कंधे झुक आये
जनगण मन अधिनायक गाते
जाने कबतक समय चलेगा
जयकारों पर हाथ उठाते
प्रश्न पूछते थकते पांव
कितनी दूर रहा अब गाँव