प्रश्न पहर……..?
ये सड़क इतनी लाल क्यों है?
धरती का ये हाल क्यों है?
गरीब ही कंगाल क्यों है?
धनवान ही मालामाल क्यों है?
आखिर क्यों…………?
मानवता इतनी पस्त क्यों है?
दुश्मन इतना व्यस्त क्यों है?
(मैं इसका जवाब तलाशने की कोशिश कर रहा हूं , दुखी हूं बेगुनाहों पर इतने जो गुनाह हो रहे है। )
अपने आंतरिक अश्रुधारा सहित………………— बिमल रजक