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14 Sep 2021 · 2 min read

” प्रश्नों के बाण “

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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हमारी जिज्ञासा की यात्रा सदेव आवाध गति से जीवन पर्यंत तक चलती रहती है ! इन्हीं जिज्ञासाओं के बल पर हमें अनुभवों का बरदान मिल जाता है और आने वाली पीदिओं को अपना गुरु !…..
बच्चे विभिन्य अवस्थाओं में अपने ज्ञान का शब्द कोष ,अच्छी बातें ,सांसारिक गति विधियाँ और अनगिनत जिज्ञासाओं को अपने अग्रजों से अर्जित करने लगता है ! बच्चों की जिज्ञासा ‘ चाँद क्या है …सितारे क्या हैं …आकाश और जमीन बनी कैसे .. ?…पहाड़ ,झरना ,सागर इत्यादि को जानने की ललक उनमें रहती हैं ! ….और हम अपने अनुभवों का पिटारा खोलने में गर्व करते हैं …आखिर इन्हें ज्ञान जो देना है ! …..
कुछ ऐसे भी प्राणी हम लोगों को मिल जाते हैं जिनके पास अनुभवों का खजाना भरा पड़ा है …तमाम अवस्थाओं की सिदिओं को लाँघ चूका है …फिर भी लोगों से पूछता फिरता है ..” यह कैसे हो सकता है ?..जरा खुलकर बतायें..”….इत्यादि..इत्यादि ! .इस तरह के अधिकांश व्यक्तिओं का विश्लेषण करना चाहेंगे तो प्रायः -प्रायः एक सामान्य चारित्रिक व्यक्तित्व का स्वरुप उजागर होगा ! हमें इनके पास ना कोई तर्क संगत विचार ही मिलेंगे ना उनमें उल्लेख करने की क्षमता ही पायी जाएगी !…हमको ये द्रिग्भ्रमित भी करना चाहते हैं !…..यदि हो ना हो उनकी जिज्ञासा यथार्त हो ..तो विनम्रता तो रहनी चाहिए …आपके शब्द ,आपके व्याक्य और आपकी भंगिमा ही बता देगी कि आप आबोध बालक की भांति पूछ रहे हैं कि भगोड़े व्यक्तित्व की परिभाषा गद रहे हैं …….?……
अब बात उनकी भी हो जाय ..जिन्होंने सम्पूर्ण जीवन अनुभवों की धुनी रमाते हुए ..ना जाने कितने वर्षों से तपस्या में तल्लीन हैं ! उनके मार्ग दर्शनों से हम अनुभवों के उच्चतम शिखर पर पहुँच सकते हैं ..पर कुछ लोग अपनी विचारधाराओं को कैद करके लोगों के सामने प्रश्नों की झड़ी लगा देते हैं !….बार -बार लोगों से प्रश्न करते हैं !…….जो…… कुछ अटपटा लगता है !
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका

Language: Hindi
Tag: लेख
151 Views
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