Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jul 2021 · 2 min read

” प्रशंसाओं के फूल “

” प्रशंसाओं के फूल ”
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
===============
मनोविज्ञान के सिध्यांतों के किताबों में एक अनूठा पाठ “प्रशंसा ” निहित है जिसके बिना हमारी पढ़ाई अधूरी मानी जाती है ! इस पाठ की पढ़ाई किताबों के पन्नों को छोड़ सामाजिक परिवेशों में ही हम पारंगत हो जाते हैं ! बचपन में ही इन मन्त्रों के श्लोकों को सिखाया जाता है ! कोई हमारी प्रतिभाओं ,ज्ञान और कार्यशैली को सराहे तो उन्हें विनम्रता के साथ ‘धन्यवाद् ,थैंक्यू ,आभार और शुक्रिया से अपनी शालीनता दर्शाते हैं ! ज्यों -ज्यों हम बड़े होने लगते हैं अपने अभिनय ,खेल कूद ,गायन ,अध्ययन ,शिष्टाचार इत्यादि के कार्यशैलिओं से हम अपने समाज में उदाहारण बनने के प्रयास में लगे रहते हैं ! किसे नहीं भाता है कि उसकी प्रशंसा ना हो ? विभिन्य प्रतिगोगिता परीक्षाओं में उतीर्ण होना ,अच्छे पदों पर पहुंचना ,विकास के पायदानों को छूने की ललक भला किसे नहीं होती ?..प्रशंसा सबको प्यारी लगती है और धन्यवाद् ,थैंक्यू ,आभार, शुक्रिया कहने में आपार आनंद का एहसास होता है !…
“हम अपनी उपलब्धियों ,
पुरष्कार ,सम्मान और
प्रशंसा पत्र को लोगों को दिखलाते हैं !
हमें यह चाह होती है
लोग इसे देखें, सराहें
इसलिए हम सारे मित्रों को बतलाते हैं !!”
पर ना जाने ज्यों -ज्यों हम उम्र की दहलीजों को पार करने लगते हैं तो हम प्रायः -प्रायः कुछ इन पाठ के मन्त्रों को भूलने लग जाते हैं ! प्रशंसा कोई करें या ना करें हम स्वयं अपनी कृतिओं,भ्रमणों इत्यादि का जिक्र फेसबुक के पन्नों में इस तरह करने लगते हैं …लगता है ..उनकी उपलब्धियां हमारे सर चढ़ के बोल रहीं हैं …! कहा भी गया है ” Self praising is not
recommended ” हमें अपनी उपलब्धिओं ,रचनाओं ,विभिन्य भंगिमाओं का ही प्रदर्शन फेसबुक के पन्नों करना यथायोग्य समझना चाहिए ! हम क्या हैं …?कौन हैं ..? ..कहाँ हैं ….? इसका उल्लेख बारम्बार करने से लोगों को कुछ अरोचक लगने लगता है !….. हमारा परिचय हमारे प्रोफाइल में ही निहित है !..हमें अपनी कलाओं को ही लोगों के समक्ष रखनी चाहिए …तालियाँ बजाने का अवसर लोगो को दें …हमें तो ‘धन्यवाद् ,थैंक्यू ,आभार और शुक्रिया देना है और कुछ नहीं —धन्यवाद् !
===================================
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 203 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पुर-नूर ख़यालों के जज़्तबात तेरी बंसी।
पुर-नूर ख़यालों के जज़्तबात तेरी बंसी।
Neelam Sharma
श्याम भजन -छमाछम यूँ ही हालूँगी
श्याम भजन -छमाछम यूँ ही हालूँगी
अरविंद भारद्वाज
कोरोना का आतंक
कोरोना का आतंक
Dr. Pradeep Kumar Sharma
एक छोटी सी मुस्कान के साथ आगे कदम बढाते है
एक छोटी सी मुस्कान के साथ आगे कदम बढाते है
Karuna Goswami
आप को मरने से सिर्फ आप बचा सकते हैं
आप को मरने से सिर्फ आप बचा सकते हैं
पूर्वार्थ
मुक़ाम क्या और रास्ता क्या है,
मुक़ाम क्या और रास्ता क्या है,
SURYA PRAKASH SHARMA
मजदूर की बरसात
मजदूर की बरसात
goutam shaw
ज़िंदगी...
ज़िंदगी...
Srishty Bansal
ये जो फेसबुक पर अपनी तस्वीरें डालते हैं।
ये जो फेसबुक पर अपनी तस्वीरें डालते हैं।
Manoj Mahato
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
Mamta Rani
आईना
आईना
Pushpa Tiwari
!! ख़ुद को खूब निरेख !!
!! ख़ुद को खूब निरेख !!
Chunnu Lal Gupta
*आया पूरब से अरुण ,पिघला जैसे स्वर्ण (कुंडलिया)*
*आया पूरब से अरुण ,पिघला जैसे स्वर्ण (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
फ़िलहाल देश को सबसे बड़ी ज़रुरत समर्थ और सशक्त विपक्ष की।
फ़िलहाल देश को सबसे बड़ी ज़रुरत समर्थ और सशक्त विपक्ष की।
*प्रणय प्रभात*
तुम जहा भी हो,तुरंत चले आओ
तुम जहा भी हो,तुरंत चले आओ
Ram Krishan Rastogi
!..............!
!..............!
शेखर सिंह
एक ठंडी हवा का झोंका है बेटी: राकेश देवडे़ बिरसावादी
एक ठंडी हवा का झोंका है बेटी: राकेश देवडे़ बिरसावादी
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
ईमेल आपके मस्तिष्क की लिंक है और उस मोबाइल की हिस्ट्री आपके
ईमेल आपके मस्तिष्क की लिंक है और उस मोबाइल की हिस्ट्री आपके
Rj Anand Prajapati
जीवन रथ के दो पहिए हैं, एक की शान तुम्हीं तो हो।
जीवन रथ के दो पहिए हैं, एक की शान तुम्हीं तो हो।
सत्य कुमार प्रेमी
जिंदगी एक आज है
जिंदगी एक आज है
Neeraj Agarwal
"फ़ानी दुनिया"
Dr. Kishan tandon kranti
लिख / MUSAFIR BAITHA
लिख / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
एकतरफ़ा इश्क
एकतरफ़ा इश्क
Dipak Kumar "Girja"
चित्रकार उठी चिंकारा बनी किस के मन की आवाज बनी
चित्रकार उठी चिंकारा बनी किस के मन की आवाज बनी
प्रेमदास वसु सुरेखा
अरे! डॉक्टर की बीवी हो
अरे! डॉक्टर की बीवी हो
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
माना जीवन लघु बहुत,
माना जीवन लघु बहुत,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
3279.*पूर्णिका*
3279.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शंगोल
शंगोल
Bodhisatva kastooriya
मैं ....
मैं ....
sushil sarna
Loading...