Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2020 · 1 min read

प्रवासी

मैं
पंखे कूलर में
बैठा घर पर
अनुमान लगा
रहा था
ताप का
40 नहीं 43
डिग्री है
आज ताप

कभी
गिरता पर्दे
तो कभी
बंद करता
खिड़की
धूप की आती
चकाचौंध

प्यास
है कि
बूझती नहीं
मटके का तो
कभी
फ्रिज का
ठंडा पानी

जब
देखा हाल
प्रवासी
श्रमिकों का
न पानी
न खाना
न चप्पल
कड़कड़ाती
धूप
धरा आसमां में
ताप

विचलित
हो गया
मैं
अब
कूलर पंखे की
हवा
भाती नहीं

है
बस
यही कामना
पहुँचे सुरक्षित
अपने मुकाम
अपने घरोंदे
छोटे छोटे बच्चे
महिलायें और
हमारे
प्रवासी मजदूर भाई

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
1 Like · 458 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
3412⚘ *पूर्णिका* ⚘
3412⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
होना जरूरी होता है हर रिश्ते में विश्वास का
होना जरूरी होता है हर रिश्ते में विश्वास का
Mangilal 713
*नववर्ष*
*नववर्ष*
Dr. Priya Gupta
सावन बीत गया
सावन बीत गया
Suryakant Dwivedi
जो गुजर रही हैं दिल पर मेरे उसे जुबान पर ला कर क्या करू
जो गुजर रही हैं दिल पर मेरे उसे जुबान पर ला कर क्या करू
Rituraj shivem verma
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
अतीत - “टाइम मशीन
अतीत - “टाइम मशीन"
Atul "Krishn"
"" *नारी* ""
सुनीलानंद महंत
हम मुहब्बत के परस्तार रियाज़ी तो नहीं
हम मुहब्बत के परस्तार रियाज़ी तो नहीं
Nazir Nazar
पृष्ठ- पृष्ठ पर प्यार के,
पृष्ठ- पृष्ठ पर प्यार के,
sushil sarna
"तर्पण"
Shashi kala vyas
हम हमेशा साथ रहेंगे
हम हमेशा साथ रहेंगे
Lovi Mishra
नारीत्व
नारीत्व
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
चिंगारी बन लड़ा नहीं जो
चिंगारी बन लड़ा नहीं जो
AJAY AMITABH SUMAN
I'm always with you
I'm always with you
VINOD CHAUHAN
किसी को किसी से फ़र्क नहीं पड़ता है
किसी को किसी से फ़र्क नहीं पड़ता है
Sonam Puneet Dubey
फूल अब शबनम चाहते है।
फूल अब शबनम चाहते है।
Taj Mohammad
हिंसा
हिंसा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
" न जाने क्या है जीवन में "
Chunnu Lal Gupta
" सफलता "
Dr. Kishan tandon kranti
अच्छा स्वस्थ स्वच्छ विचार ही आपको आत्मनिर्भर बनाते है।
अच्छा स्वस्थ स्वच्छ विचार ही आपको आत्मनिर्भर बनाते है।
Rj Anand Prajapati
କୁଟୀର ଘର
କୁଟୀର ଘର
Otteri Selvakumar
" कल से करेंगे "
Ranjeet kumar patre
सब कुछ लुटा दिया है तेरे एतबार में।
सब कुछ लुटा दिया है तेरे एतबार में।
Phool gufran
झुका के सर, खुदा की दर, तड़प के रो दिया मैने
झुका के सर, खुदा की दर, तड़प के रो दिया मैने
Kumar lalit
इश्क जितना गहरा है, उसका रंग उतना ही फीका है
इश्क जितना गहरा है, उसका रंग उतना ही फीका है
पूर्वार्थ
लक्ष्य या मन, एक के पीछे भागना है।
लक्ष्य या मन, एक के पीछे भागना है।
Sanjay ' शून्य'
..
..
*प्रणय*
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
Loading...