प्रलय की चेतावनी!
बांध देना आता है मुझे समंदर तुम्हारे लिए,
तुम तूफानों से डरते हो?
फूंक देनी आती हैं माँसल लोथड़े में जान
तुम अकालमृत्त्यु से डरते हो?
आड सा खड़ा हूँ हिमालयी सीना तान
तुम भूकंपों से डरते हो?
सींच देना आता है तप्त धरती को लहू से
तुम बाढ़ से डरते हो?
व्यवस्थापित करना आता है सकल ब्रह्माण्ड को मुझे
तुम उल्काओं से डरते हो?
रच देनी आती हैं अनंत शक्लों की बारीकियाँ
तुम कुतर्कों से डरते हो?
ढाल देना आता है सर्वस्व सदियों के हिसाब से
तुम विज्ञान से डरते हो?
परवाही बनना आता है किसी माँ और बाप सा
तुम मुझसे ही डरते हो?
जीवन दिया है तुम्हे किसी मकसद से जीओ
तुम प्रलय से डरते हो?
#नीरज चौहान