प्रलयंकारी कोरोना
हाहाकार मचा आज इस धरती पर
भूचाल आया आज इस धरती पर।
इंसान को अपने कद का आभास हुआ
काल की शक्ति का उसे अहसास हुआ।
बलशाली से बलशाली भी बेहाल हुआ
उसका भी अभिमान तार-तार हुआ।
गरीबों का जीवन ओर भी दुश्वार हुआ
राशन-पानी का वो मोहताज हुआ।
शवों का आज यहाँ अंबार लगा हुआ
दो गज़ भी मिलना चमत्कार हुआ।
राजा-रंक सबका संघार हुआ
सबका जीवन काल हुआ।
पर इन मुश्किल हालातों मे भी
कुछ लोगो को अपनी शक्तियों आभास हुआ
सबको अपनी ज़िम्मेदारियों का एहसास हुआ
फर्ज़ से ऊपर किसी ने कुछ नहीं रखा
अपनी ज़िंदगियों को भी सभी ने दाव पर रखा।
लोक-सेवा मे सर्मपित
कर दिया सबने खुद को अर्पित।
नत्मस्तक हूँ मै उन सबके आगे
जो इस प्रलयंकारी महामारी से नहीं भागे।
– श्रीयांश गुप्ता