प्ररेक दृष्टिकोण
आओ मिलकर करें, जरा विचार,
मिलजुलकर बदल दें,
भारत वा दुनिया में,सपनों का संसार.
धर्म धरातल हमें बाँट सके ना,
शिक्षित होकर,स्वावलंबन का धरे आधार,
बन जायें आत्मनिर्भर,स्वच्छंदता का हो आगाज,
झूठी शान के मोहताज नहीं,
हम आधुनिक भारत की संतान,
स्वाभाविक रुग्णता से वाकिफ हम,
राष्ट्रीय संपदा की यहाँ भरमार,
होगा सब के पास आवास लिबास,
लोकतंत्र है ,है तिरंगा मान चित्र पर,
है संविधान हमारे पास,
जन गण मन में होगी जागृति,
विश्व में संदेश,, फैलाओ आज.
हर व्यक्ति कर्मठ हो, स्वाभिमानी हों,आसपास,
गलत होते नहीं देखेंगे, लेना होगा संकल्प आज,
सिक्का है,, पूरा अपना,,संगठित रहे समाज,
दिन दुगुनी रात चौगुनी,प्रगति का हो आगाज,
कर्तव्य पहले,, बाद अधिकार, समानता हो सरताज,
धर्मनिरपेक्ष,संप्रभु,अनेकता में एकता,
भारतीय संवैधानिक सूत्र हमारे पास.