प्रमाणिका छंद
न पाप का निशां रहे ! न बेबसी जहां रहे !
चलो सभी चलें वहाँ !न भेद भाव हो जहाँ !!
उचार मंत्र वेद हों ! कहीँ कमी न खेद हो !
नदी बहे सुनीति की! न नीतियाँ कुरीति की !!
रमेश शर्मा.
न पाप का निशां रहे ! न बेबसी जहां रहे !
चलो सभी चलें वहाँ !न भेद भाव हो जहाँ !!
उचार मंत्र वेद हों ! कहीँ कमी न खेद हो !
नदी बहे सुनीति की! न नीतियाँ कुरीति की !!
रमेश शर्मा.