प्रभु श्री राम आए हैं…
उठाओ थाल पूजन के
मेरे भगवान आए हैं
चढ़ाओ पुष्प और चंदन
चारों धाम आए हैं
रहे जो दूर बरसो तक
अपनों से भला कैसे
चलकर आज साक्षात
प्रभु श्री राम आए हैं
निभाई रीत रघुकुल की
किया प्रस्थान जंगल को
त्यागकर जीवन वैभव का
दिया आदर बुजुर्गों को
रहे मर्यादा में हरदम
नीति पर अमल किया जिसने
चलकर आज हमारे द्वार
प्रभु श्री राम आए हैं
चलकर आज साक्षात प्रभु श्री राम आए हैं…
इति।
इंजी. संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश