प्रभु विनती — है ईश्वर सब पर दया करो (कविता)
****प्रभु विनती ****
समझ न आए, समझ न आए।
कब तक खुद को समझाए।
इंसा है हम नहीं है पत्थर,
मातम ऐसा देख न पाए।
हे ईश्वर सब पर दया करो,कष्ट यह अब तो हरो।।
बैठे तो है घरों के अंदर, ख़बरें बाहर से आती है।
पड़ सुनकर के अनहोनी,चोट दिल को दे जाती है।।
सर्व देव ओ महादेव,नैत्र तीसरा खोल कुछ नया करो।।
हे ईश्वर सब पर दया करो —————————।
राजेश व्यास अनुनय