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27 Jan 2024 · 1 min read

प्रभु रामलला , फिर मुस्काये!

प्रभु रामलला , फिर मुस्काये !

भारत के प्राण ,महाप्राण,
प्रभु रामलला,फिर मुस्काये।
सब के फिर से भाग्य जागे,
प्रभु राम अवध वापस आये।

दशको प्रभु वनवास रहे,
भक्त बहुत उदास रहे।
आस नहीं किसी ने छोड़ी,
कारसेवा के सफल प्रयास रहे।

कभी महलों में रहते थे प्रभु,
कलि में टेंट निवास रहे।
आज समय अद्धभुत आया,
भव्य मंदिर प्रभु विराज रहे।

हर मंदिर राम संकीर्तन हुई,
अखंड पाठ सब बैठाये।
प्रभु के स्वागत में सबने,
नगर भंडारा करवाये ।

घर घर देव दिवाली मनी,
मंगलगान समूह में गाये।
राम रंग में रंग गए सब,
पटाखे फोड़े,नाचे गाये।

भारत वर्ष राम मय हुआ,
त्रेतामय अवधपुरी हुई।
श्रीराम का स्वागत करने ,
घर घर भगवा लहराए।

प्रभु राम लला विनती यही,
सब सुखी रहें,सब मुस्काये।
विश्व गुरु फिर बने भारत,
रामराज्य फिर आ जाए।

‘कुल’ के इष्ट श्रीराम प्रभु,
‘दीप’ सदा रोशन रखना।
उरका सब अंधियार मिटे,
चहुँ ओर उजाला हो जाये।

-जारी
-©कुलदीप मिश्रा

©सर्वाधिकार सुरक्षित
आपको ये काव्य रचना कैसी लगी कमेंट के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें।आपके द्वारा की गई मेरी बोद्धिक संपदा की समीक्षा ही मुझे और भी लिखने के लिए प्रेरित करती है, प्रोत्साहित करती है।

Language: Hindi
1 Like · 137 Views

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