*प्रभु नहीं मिलते हैं 【 घनाक्षरी 】*
प्रभु नहीं मिलते हैं 【 घनाक्षरी 】
प्रभु नहीं मिलते हैं पोथियों को पढ़-पढ़
भावना में भर-भर के बुलाना चाहिए
प्रभु नहीं तीर्थों में भ्रमण से हुए प्राप्त
हृदय में बस रहे आजमाना चाहिए
प्रभु तप-दान से न मिलते किसी को कहीं
झोली याचक समान ही फैलाना चाहिए
प्रभु की ही चाहना से हृदय हो ओतप्रोत
मन को मगन कर मस्ताना चाहिए
—————————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451