प्रभु जी का अवतार हुआ
प्रभु जी का अवतार हुआ
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चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में,
नवमीं का शुभ वार हुआ।
इसी दिवस को अवधपुरी में,
प्रभु जी का अवतार हुआ।
धरती से अम्बर तक गुंजित,
जिस दिन जय जयकार हुआ।
इसी दिवस को अवधपुरी में,
प्रभु जी का अवतार हुआ।
//1//
अनुपम छवि है रघुवंशी की,
मोहन मुरत प्यारी है।
जिनके शुभ दर्शन पाने को,
आतुर दुनिया सारी है।
प्रभु के स्वागत को गलियों में,
ढोलक झाँझ मृदंग बजे।
हर घर के द्वारों में शुभकर,
सुंदर वंदनवार सजे।
अतुल अलौकिक अकल्पनीय अब,
खुशियों से संसार हुआ।
इसी दिवस को अवधपुरी में,
प्रभु जी का अवतार हुआ।
//2//
धर्म पताका रक्षित करने,
और मिटाने पापों को।
हर जीवों के कष्ट हरण को,
हरने सब संतापों को।
जिनकी महिमा इस जग में है,
अजर अमर अज अविनाशी।
मर्यादा का पाठ पढ़ाया,
वन में बनकर वनवासी।
रघुवर ने जब धनुष उठाया,
दुष्टों का संहार हुआ।
इसी दिवस को अवधपुरी में,
प्रभु जी का अवतार हुआ।
//3//
पूर्ण चराचर में जिन प्रभु की,
गायी जाती है गाथा।
उनके चरणों में डिजेन्द्र यह,
टेक रहा अपना माथा।
सुबह कहो या शाम कहो या,
किसी प्रहर अविराम कहो।
लेकिन जो भारतवासी हो,
जय जय जय श्री राम कहो।
राम नाम पावन है जिसमें,
जीवन यह सुखसार हुआ।
इसी दिवस को अवधपुरी में,
प्रभु जी का अवतार हुआ।
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स्वरचित©®
डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
छत्तीसगढ़(भारत)
मो.8120587822