प्रभु को समर्पित -कुछ दोहे।
हुई भोर रवि लालिमा
जागो जग आधार।
कान्हा की सुन बांसुरी
विहगवृंद चहकार।।
दर्शन तृष्णा मन लिए
भक्त खड़े तव द्वार।
अभिलाषा पूरी करो
सारे पाप उबार।।
प्रथम पुष्प अर्पित तुझे
दर्शन दो गोपाल।
देवालय घंटी मधुर
होंगे भक्त निहाल।।
सिया राम की सज रही
जोड़ी रूप अनूप।
अवध निवासी बावरे
निखरे अद्भुत रूप।।
शीश जाह्नवी बह रही
तन भभूत लिपटाय।
हिम उत्तुंग निवास है
शूलपाणि कहलाय।।
पग पैंजनिया साजती
पीताम्बर परिधान।
मोर मुकुट माथे सजे
गोपेश्वर भगवान।।
राधा हिय कृष्णा बसे
जोड़ी जुगल सजाय।
बांकी छवि मुरली अधर
राधे मन मुसकाय।।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्वरचित व मौलिक रचना
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