प्रभु की शरण
जब कभी तुम उदास हो
जीवन में न कोई तुमको प्यास हो
याद कर लेना उस प्रभु को
जब तुमको बाकी न कोई आस हो।।
मिटा देंगे सारे दुखों को
सच्चे दिल से अगर एक प्रार्थना हो
वो तो तारता है सबको
बस उसमें तुमको दिल से विश्वास हो।।
होगा कुछ भी हल नहीं
निराश होकर, इतना तो मानते हो
होता नहीं कुछ भी यहां
उसकी इच्छा के बिन, ये भी जानते हो।।
छोटी छोटी समस्याओं से
फिर भी तुम क्यों घबराते हो
होगी कृपा उसकी तुम पर
जो उसकी शरण में जाते हो।।
होते हो जब तुम शरण में
उसकी, दिल में तुम जब उसे बसाते हो
हो कोई भी गम, कोई भी
दुविधा तुम्हें, तुरंत उसे मिटा जाते हो।।
फिर क्यों पड़े हो सोच में आज
क्यों नहीं उसको तुम बताते हो
मिटाने को दुख अपने क्यों नहीं
अब तुम उसकी शरण में जाते हो।।
उसकी शरण में जाकर
मोक्ष भी तुम पा सकते हो
जीवन मरण के चक्र से
मुक्ति भी तुम पा सकते हो।।