*प्रभु का संग परम सुखदाई (चौपाइयॉं)*
प्रभु का संग परम सुखदाई (चौपाइयॉं)
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1
प्रभु का संग परम सुखदाई।
यह अनुभूति कही कब जाई।।
प्रेमपाश में बँध प्रभु आते।
निर्धन-साधनहीन बुलाते।।
2
जिनके मन में लोभ न आया।
भगवत-गान उन्हीं ने पाया।।
राग-द्वेष से जो भरमाया ।
सुख-नकली पाई मद-माया।।
3
शुभ भावों में विचरण करते।
कष्ट सदा उनके प्रभु हरते ।।
जीवन में जिनके अच्छाई ।
निश्छल हॅंसी उन्हीं ने पाईं।।
4
जिनके मन में द्वेष न आता ।
नहीं लोभ से जिनका नाता।।
जिनकी वाणी प्रेम बिखेरे।
उनके घर में क्लेश न घेरे।।
5
सबके हित की बात बधाई ।
सबका जीवन हो सुखदाई ।।
सबकी बुद्धि विवेक विचारे ।
सबके भीतर हों उजियारे।।
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा,रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451