**प्रभु अब अवतार लो**
घड़ा पाप का भर गया
प्रेम बाग़ सब उजड़ गया।
राक्षसों का खुनी मेला
अंतिम चरण चढ़ गया।
के मानवहित ख़ातिर प्रभु
फिर नरसिंह रूप धार लो
प्रभु तुम अब अवतार लो।
हो गए पैदा फिर कुछ रावण
जो सीता हरण करते हैं।
छल करते हैं कपट करते हैं
न तनिक भी साँसे भरते हैं।
रोक लगाने को उन पर
फिर कोई हथियार लो।
प्रभु तुम अब अवतार लो।
छिन विछिन्न कर दो सारी
बुरी शक्तयों के ज्ञान को।
ले के अवतार ज़मी पर
फिर तोड़ दो अभिमानियों
के झूठे अभिमान को।
करके नाश पापी,बलात्कारी
और भ्रस्टाचारी का,
हर ख़तरा धरा से टार दो
प्रभु तुम अब अवतार लो।