प्रभात वेला
दोहे
शैय्या छोड़ प्रभात में , करो ओम का ध्यान ।
नित स्व हस्त देखा करो ,तव होगा कल्याण ।।
शौच आदि से मुक्त हो ,बाद में करो स्नान ।
अरुणोदय के काल में , सूरज करो प्रणाम ।।
स्वास लम्बा खींचिए, तजो नासिका द्वार ।
वात,पित्त, कफ शांत हो, नाशे रोग हजार ।।
आसन कीजै भ्रामरी, महिमा अपरम्पार।
मुख शारदा वास करे ,खुले रागिनी राग ।।
कपालभाती,भस्त्रिका,आसन है सु जान ।
विकट रोग महामारी, संकट हरता जान ।।
भोर काल मेंउठ करे,जो जन निस दिन सैर ।
जीवन में निज सुख रहे ,रहे न तन में रोग ।।
ललिता कश्यप सायर
जिला बिलासपुर ( हि0 प्र0)