” प्रभात फेरी “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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जब ये आधुनिक उपकरण नहीं होते थे यहाँ तक कि हमारे पास लोडस्पीकर प्रयत्न करने के बाबजूद भी नहीं मिल पाते थे ! परिवर्तन और क्रांति लाने के लिए ‘प्रभात फेरी ‘ ही हमारा अस्त्र रहा ! हम सुबह ३ बजे कहीं एक जगह एकत्रित होते थे और गाँव वाले गांवों में ,कस्बे वाले कस्बों में ,शहर वाले शहरों में और इस तरह सम्पूर्ण देश में हम अलख जगाने का काम करते थे ! घर -घर अपनी योजनाओं का प्रचार प्रसार करते थे ! स्वतंत्रता आन्दोलन के समय भी हमारे राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी जी ने भी इसे अपनाया था ! हम सोये को जागते थे और उनमें उर्जा का संचार करते थे ! राष्ट्रीय गान ,देश भक्ति गीत और हमारा उद्देश्य भरा स्वर घर घर पहुँच सुनते थे ! ….पर आने वाले क्षणों में हमारे बच्चे पूंछ सकते हैं ” अले ..बाबा ..पल्भात फेली…का मतबल …क्या है ?”……………हम प्रभात फेरी का नवीन संस्करण लाने का प्रयास कर रहे हैं ! हमारे निकटस्थ लोग कभी -कभी मौन हो जाते हैं ! फेस बुकों के पन्नों पर उनके पुराने फोटो और उनके सारे पुराने विचार ही लहराते रहते हैं !…. यदा कदा हम उन थोड़े लोगों के दरवाजों पर दस्तक देते हैं ताकि हमें आभास हो जाय कि इनकी प्रतिभा मलिन तो नहीं हुई ! …..प्रभात फेरी की प्रक्रिया का स्वरुप बदलता रहेगा …हम भले भूल जाएँ इस प्रक्रिया को ….पर प्रभात फेरी यूँ ही चलता रहेगा !—-जय हिन्द !
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत